Friday, April 1, 2016

सम्मोहन तंत्र- sammohan tantra 24 hour effective work



सम्मोहन तंत्र , सामान्य त्राटक अभ्यास से भिन्न ही है . क्यूंकि सामान्य त्राटक के क्रम को करते हुए सफलता प्राप्त करने के लिए लम्बी अवधि लगती है और सतत अभ्यास भी वाही ताँता का आश्रय लेने पर ये दुर्लभ घटना शीघ्र ही आपके साधक जीवन में घटित होती ही है . हाँ इसके लिए एक व्यवस्थित जीवन चर्या का पालन थोड़े दिन तो करना ही पड़ता है और यही साधक जीवन की मर्यादा भी है .तभी तो आपकी मनोवांछित शक्ति अपने वरद हस्त को आपके शीश पर रख पूर्णता और सफलता का आशीष देते हुए आपको धनवान व गौरव प्रदान करती हैं. ये सूत्र किताबों में लिखे हुए नही हैं ये तो सिद्धाश्रम की दिव्या चेतना से आप्लावित दिव्या मंत्र हैं जो वहां के योगियों के मध्य ही प्रचलित हैं. हम शायद ये बार बार भूल जाते हैं की हम भी उसी दिव्या भूमि ,उसी परम्परा से जुड़े हुए हैं , हम सभी में भी वही का बीज बोया गया है, अब हम उसेसध्नाओं द्वारा अंकुरित न करें तो ये हमारी कमी है.

५० भस्त्रिका का नित्य अभ्यास आपकी जड़ता को समाप्त कर शरीर को चैतन्य करता है.ये क्रिया नित्य होनी ही चाहिए.

साथ ही शरीर सिद्धि मन्त्र का गुरु द्वारा निर्देशित संख्या में जप करना चाहिए .प्रथम दिवस यही क्रियाएँ होती है.

दूसरे दिन सुषुम्ना नाडी के जागरण के लिए आत्म सिद्धि मंत्र का जप किया जाता है. कल वाला मंत्र भी इसके साथ अनिवार्य ही है. पहले प्रथम दिन का मंत्र जप फिर दूसरे दिवस का मंत्र जप. क्यूंकि शुशुमना नाडी के भेदन के बाद ही सम्मोहन शक्ति का प्रस्फुटन आपमें होता है और आपका चेहरा ओज से आभा से भर जाता है. आपमें दिव्या दृष्टि का उद्भव होता है .

तीसरे दिन चक्र जागरण साधना संपन करनी होती है जिसके द्वारा सम्मोहन मात्र आपके चेहरे पर न होकर समस्त शरीर में प्रसारित हो जाता है , तब आपके स्पर्श मात्र से सामने वाला सम्मोहित हो जाता है.इसके पहले का क्रम वाही रहेगा जो पहले दिन का था.

चौथे दिन अन्तर साधना मंत्र का जप किया जाता पहले के क्रम को संयुक्त करके.इसके बाद साधक में इतनी सामर्थ्यता आती ही की वो वांछित शक्ति को अपने सम्मोहन बल में बाँध कर आवाहित कर सके.

पाँचवे दिन स्वसम्मोहन सिद्धि मंत्र का जप अन्य मंत्रों के साथ किया जाता है .ये संपूर्ण क्रिया २४ दिनों की होती है यदि इस विश्व में कोई सबसे कठिन काम है तो वो अपने आपको अपने अनुकूल बनाना और जैसे ही ये क्रिया होती है ,आपमें चुम्कत्व पैदा होता है अन्य सभी लोहे की भांति आपके आकर्षण छेत्र में आ ही जाते हैं और आप अपनी कमियों को आत्म-निर्देश देकर समाप्त कर सकते हैं और अपने गुणों को और ज्यादा शक्तिशाली कर सकते हैं. यदि आगे इन मंत्रों को लगातार किया जाए तो वशित्व सिद्धि की प्राप्ति होती ही है. याद रखिये सम्मोहन का अर्थ ही होता है ख़ुद को ही मोहित करना यानिकी स्वयं की चेतना को आकर्षित कर परम चेतना से मिला देना. यदि हम २४ घंटे चुम्बकीय शक्ति से युक्त रहेंगे तो हमसे मिलने वाला कैसा भी व्यक्ति हो हमारे सद्वाक्यों को कभी नही ताल सकता. और उच्चावस्था में दिव्या शक्तियां भी हमारे प्रभाव क्षेत्र में आबद्ध हो जातियो हैं. फिर हमारे पास यदि किसी का फोटो भी हो या हमारे मश्तिष्क में किसी का बिम्ब भी हो तो उस व्यक्ति या शक्ति को सम्मोहित कर अप्नेअनुकूल किया जा सकता है, या किसी रोगी के कष्टों को दूर किया जा सकता है . यही क्रिया तिब्बत में बोध-संवहन- विधि कहलाती है. ये मंत्र दुलभ जरूर हैं पर अप्राप्य नही

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